Top Shiv chaisa Secrets
Top Shiv chaisa Secrets
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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
अंत काल को भवसागर में उसका बेडा पार हुआ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न more info काऊ॥
अर्थ- आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका Shiv chaisa वर्णन कोई नहीं कर सकता।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥